देश के 3 महान विभूतियों स्वाधीन भारत के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद जी, एशिया का सबसे बड़ा ट्रस्ट केपी ट्रस्ट प्रयागराज के संस्थापक स्वाधीनता संग्राम के महानायक मुंशी काली प्रसाद जी एवं जंगे आजादी के लिए सबसे कम उम्र मात्र 19 साल में फांसी की बलिवेदी पर चढ़ने वाले महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस जी के जन्म जयंती को समारोह पूर्वक राष्ट्रीय चित्रांश दिवस के रूप में मनाया गया।


इस अवसर पर होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ अरविंद श्रीवास्तव डॉ नम्रता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य प्रकाश श्रीवास्तव एवं अजय कुमार श्रीवास्तव सहित सैकड़ों की संख्या में लोगों ने पुष्प अर्पण कर नमन वंदन किया। डॉ अरविंद श्रीवास्तव ने कहां कि जब देश अंग्रेजों से लड़ रहा था तब इलाहाबाद के महान विभूति मुंशी काली प्रसाद जी को इस बात की चिंता थी कि पढ़े-लिखे अंग्रेजों से अगर हमें आजादी मिल भी गई तो हम देश को कैसे दिशा देंगे और आजादी को अक्षूंण कैसे रखेंगे किसके लिए देश के हर एक नागरिक को शिक्षित होना जरूरी है और उन्होंने अपने अरबों खरबों की जमीन प्रॉपर्टी मकान सर्वस्व केपी ट्रस्ट बनाकर न केवल दान किया बल्कि प्रयागराज में दर्जनों की संख्या में बड़े-बड़े डिग्री कॉलेजेस स्पोर्ट्स कॉलेज लॉ कॉलेज इत्यादि का निर्माण कराया जिससे पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा पूर्व प्रधानमंत्री पंडित लाल बहादुर शास्त्री फिराक गोरखपुरी हरिवंश राय बच्चन जैसे सैकड़ों महान विभूति पैदा हुए हैं। महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मात्र 19 साल की उम्र में जिस तरह से वंदे मातरम के नारे लगाते हुए अंग्रेज अताताईयों के फांसी के फंदे को चूमते हुए देश के लिए कुर्बानी दी उससे युवाओं में देश के प्रति गजब का उत्साह भर गया बंगाल का हर एक युवा खुदीराम बोस का नाम अंकित किया हुआ धोती पहन जंगे आजादी में कूद पड़ा। पेशे से अधिवक्ता राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत राजेंद्र बाबू ने आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति मनोनीत होने पर भारत को गणतंत्र बनाने भारतीय संविधान का निर्माण करने एवं सही मायने में देश को सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया। वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य प्रकाश श्रीवास्तव ने तीनों महान क्रांतिकारियों को नमन करते हुए अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किया। अधिवक्ता अजय कुमार श्रीवास्तव डॉ नम्रता श्रीवास्तव ने कार्यक्रम को संबोधित किया इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।