आज विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर शारदा नारायन हास्पिटल में एक जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शारदा नारायन हास्पिटल के चेस्ट फिजिशियन डा0 शमसाद अहमद ने लोगो को जागरूक करते हुए बताया कि जीवन में लगातार हो रहे बदलावों का प्रभाव लोगों के जीवन पर अब पड़ता हुआ दिख रहा है। प्रदूषण जैसे कारणों से सिर्फ सामान्य बीमारियां नहीं हो रही हैं। बल्कि अस्थमा जैसी बीमारियों का भी खतरा लगाता बढ़ता जा रहा है। काफी कम लोगों को इस खतरनाक बीमारी के बारे में पता है। अस्थमा के प्रति जागरूकता के लिए हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। अस्थमा को दमा की बीमारी भी कहा जाता है। दमा की बीमारी में सांस फूलना, बात करने में कठिनाई होना, ज़्यादा थकान महसूस होना और खाँसी आना और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं कारण है। आगे इस अवसर पर शारदा नारायन हस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डा0 संजय सिंह ने कहा कि अस्थमा सांस से संबंधित एक बीमारी है जो अब बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बना रही है। अस्थमा बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों में भी तेजी से फैल रहा है। वायु प्रदूषण हर किसी के लिए खतरनाक हो सकता है लेकिन यह खासतौर पर बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि बच्चों का श्वसन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने पर अस्थमा और अन्य सांस से संबंधित बीमारियों का शिकार होते जा रहे है।
अन्त में इस कार्यक्रम में लोगो को जागरूक करते हुए शारदा नारायन हास्पिटल के क्रिटिकल केयर स्पिेश्यिलिस्ट डा0 सुजीत सिंह ने अस्थमा से बचाव के बारे में बताया कि अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, दवाइयों के माध्यम से इसके लक्षणों की गंभीरता और अस्थमा अटैक को रोकने का प्रयास किया जाता है। रोगियों को अस्थमा अटैक के दौरान तुरंत इनहेलर के प्रयोग की सलाह दी जाती है। हमेशा अपने पास में इनहेलर रखें।इसके अलावा अस्थमा रोग से बचाव के लिए इसको ट्रिगर करनी वाले रसायनों, खास प्रकार की गंध या धूल-धुंए से बचाव करें। स्वस्थ-संतुलित आहार और नियमित योग-सांस के अभ्यास, इस रोग के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
